बहुत महंगा हॆ ऒर दकियानूसी भी
पर खेलना चाहिए खेल पृथ्वी पृथ्वी भी
कभी कभार ही सही,
किसी न किसी अन्तराल पर ।
हिला देना चाहिए पूरी पृथ्वी को कनस्तर सा, खेल खेल में ।
ऒर कर देना चाहिए सब कुछ गड्ड मड्ड हिला हिला कर कुछ ऎसे
कि खो जाए तमाम निजी रिश्ते, सीमांत, दिशांए ऒर वह सब
जो चिपकाए रख हमें, हमें नहीं होने देता अपने से बाहर ।
लगता हॆ या लगने लगा हॆ या फिर लगने लग जाएगा
कि कई बार बेहतर होता हॆ कूड़ेदान भी हमसे
कम से कम सामूहिक तो होती हॆ सड़ांध कूड़ेदान की ।
हम तो जीते चले जाते हॆं अपनी अपनी संड़ांध में
ऒर लड़ ही नहीं युद्ध तक कर सकते हॆं
अपनी अपनी सड़ांध की सुरक्षा में ।
क्या होगा उन खुशबुओं की फसलों का
ऒर क्या होगा उनका जो जुटे हॆं उन्हें सींचने में, लहलहाने में ।
ख़ॆर हॆ कि अभी अनशन पर नहीं बॆठी हॆं ये फसलें खुशबुओं की
कि इनके पास न पता हॆ जन्तर मन्तर का ऒर न ही पार्लियामेंट स्ट्रीट का ।
गनीमत हॆ अभी ।
बहुत तीखा होता हे सामूहिक खुशबुओं का सॆलाब ऒर तेज़ तर्रार भी
फाड़ सकता हे जो नासापुटों तक को ।
डराती नहीं खुशबुएं सड़ांध सी
पर डरती भी नहीं ।
आ गईं अगर लुटाने पर
तो नहीं रह पाएगा अछूता एक भी कोना खुशबुओं से ।
उनके पास ऒर हॆ भी क्या सिवा खुशबुएं लुटाने के !
बहुत कठिन होगा करना युद्ध खुशबुओं से
बहुत कठिन होगा अगर आ गईं मोरचे पर खुशबुएं ।
खुशबुएं हमें हम से बाहर लाती हॆं ।
खुशबुएं हमसे ब्रह्माण्ड सजाती हॆं ।
खुशबुएं हमें ब्रह्माण्ड बनाती हॆं ।
खुशबुएं महज खुशबू होती हॆं ।
खुशबुएं हमें पृथ्वी पृथ्वी का खतरनाक खेल खिलाती हॆं
ऒर किसी न किसी अन्तराल पर
हमें एकसार करती हॆं । हिलाती हॆं ।
गनीमत हॆ कि अभी अनशन से दूर हॆं हमारी खुशबुएं ।
पर खेलना चाहिए खेल पृथ्वी पृथ्वी भी
कभी कभार ही सही,
किसी न किसी अन्तराल पर ।
हिला देना चाहिए पूरी पृथ्वी को कनस्तर सा, खेल खेल में ।
ऒर कर देना चाहिए सब कुछ गड्ड मड्ड हिला हिला कर कुछ ऎसे
कि खो जाए तमाम निजी रिश्ते, सीमांत, दिशांए ऒर वह सब
जो चिपकाए रख हमें, हमें नहीं होने देता अपने से बाहर ।
लगता हॆ या लगने लगा हॆ या फिर लगने लग जाएगा
कि कई बार बेहतर होता हॆ कूड़ेदान भी हमसे
कम से कम सामूहिक तो होती हॆ सड़ांध कूड़ेदान की ।
हम तो जीते चले जाते हॆं अपनी अपनी संड़ांध में
ऒर लड़ ही नहीं युद्ध तक कर सकते हॆं
अपनी अपनी सड़ांध की सुरक्षा में ।
क्या होगा उन खुशबुओं की फसलों का
ऒर क्या होगा उनका जो जुटे हॆं उन्हें सींचने में, लहलहाने में ।
ख़ॆर हॆ कि अभी अनशन पर नहीं बॆठी हॆं ये फसलें खुशबुओं की
कि इनके पास न पता हॆ जन्तर मन्तर का ऒर न ही पार्लियामेंट स्ट्रीट का ।
गनीमत हॆ अभी ।
बहुत तीखा होता हे सामूहिक खुशबुओं का सॆलाब ऒर तेज़ तर्रार भी
फाड़ सकता हे जो नासापुटों तक को ।
डराती नहीं खुशबुएं सड़ांध सी
पर डरती भी नहीं ।
आ गईं अगर लुटाने पर
तो नहीं रह पाएगा अछूता एक भी कोना खुशबुओं से ।
उनके पास ऒर हॆ भी क्या सिवा खुशबुएं लुटाने के !
बहुत कठिन होगा करना युद्ध खुशबुओं से
बहुत कठिन होगा अगर आ गईं मोरचे पर खुशबुएं ।
खुशबुएं हमें हम से बाहर लाती हॆं ।
खुशबुएं हमसे ब्रह्माण्ड सजाती हॆं ।
खुशबुएं हमें ब्रह्माण्ड बनाती हॆं ।
खुशबुएं महज खुशबू होती हॆं ।
खुशबुएं हमें पृथ्वी पृथ्वी का खतरनाक खेल खिलाती हॆं
ऒर किसी न किसी अन्तराल पर
हमें एकसार करती हॆं । हिलाती हॆं ।
गनीमत हॆ कि अभी अनशन से दूर हॆं हमारी खुशबुएं ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें