tag:blogger.com,1999:blog-3331349068686134264.post838062678337115752..comments2023-06-10T02:09:23.753-07:00Comments on divikramesh: जयप्रकाश भारतीDivik Rameshhttp://www.blogger.com/profile/16991072115170775605noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-3331349068686134264.post-70485759333327948652011-06-04T10:33:53.047-07:002011-06-04T10:33:53.047-07:00हम तो आपका अनुसरण करेंगे, अब जो आपने प्रावधान कर र...हम तो आपका अनुसरण करेंगे, अब जो आपने प्रावधान कर रखा है :)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3331349068686134264.post-5070516635371866992011-06-03T21:36:19.985-07:002011-06-03T21:36:19.985-07:00कृपया अब नए रूप में मेरा ब्लॉग देखें ऒर बताएंकृपया अब नए रूप में मेरा ब्लॉग देखें ऒर बताएंDivik Rameshhttps://www.blogger.com/profile/16991072115170775605noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3331349068686134264.post-51040633589381939892011-06-01T06:09:17.783-07:002011-06-01T06:09:17.783-07:00sir . we are waiting for your new post .sir . we are waiting for your new post .डॉ. नागेश पांडेय संजयhttps://www.blogger.com/profile/02226625976659639261noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3331349068686134264.post-46039620906987521042011-06-01T02:03:40.048-07:002011-06-01T02:03:40.048-07:00जो भी कारण हो, आप ने अपने ब्लाग के फ़ालोअर नहीं बन...जो भी कारण हो, आप ने अपने ब्लाग के फ़ालोअर नहीं बनाए है, पर यदि यह प्रावधान रहे तो हम जैसे पाठकों को इस ब्लाग पर आने की सुविधा रहेगी :)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3331349068686134264.post-70301813565887671782011-06-01T02:01:30.265-07:002011-06-01T02:01:30.265-07:00हिंदी-भारत के माध्यम से आपके इस ब्लाग पर आना हुआ। ...हिंदी-भारत के माध्यम से आपके इस ब्लाग पर आना हुआ। कल्पांत का मई अंक आप पर आधारित है यह प्रसन्नता की बात है। जयप्रकाश भारती जी जैसे साहित्यकारों को कौन जानेगा जब तक आप अपनी ढपली आप नहीं बजाएंगे। लेकिन साहित्यिक इतिहास में तो ऐसे मूर्धन्य साहित्यकार स्थान पायेंगे ही।चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3331349068686134264.post-13896032147391800642011-05-23T22:53:49.556-07:002011-05-23T22:53:49.556-07:00दिविक भाई,
आपकी यह टिप्पणी मैंने देखी थी और इस पर...दिविक भाई, <br />आपकी यह टिप्पणी मैंने देखी थी और इस पर दो शब्द कहना भी चाहता था, पर फिर यह एकाएक गायब हो गई। मुझे समझ में ही नहीं आया कि यह हुआ क्या। और इसीलिए इस पर जो लिखना चाहता था, वह भी छूट गया।<br /><br />पर आज देखता हूँ कि यह टिप्पणी फिर से मौजूद है। मुझे लगता है, पीछे दो-तीन दिन ब्लागस्पाट के कुछ गड़बड़ी के रहे। खुद मेरी लिखी बहुत सी टिप्पणियाँ गायब हुईं। तो वही हाल आपकी टिप्पणी का भी हुआ होगा।<br /><br />और अब आपकी बात। मैं शुक्रगुजार हूँ कि आपने एक अच्छी, बहुत ही अच्छी सलाह दी। पर दिविक जी, इस मामले में मेरे गुरु रामविलास जी हैं, जिनकी मैं जानता हूँ, आप भी बेहद कद्र करते हैं। उन्होंने मुझे सिखाया था कि प्रकाश मनु,तुम्हारा मन जिसे ठीक कहता हो, वह कहो और करो...और इस मामले में किसी बड़े से बड़े शक्तिशाली शख्स की परवाह मन करो। आपकी राय भी कुछ ऐसी ही है। यकीन मानिए, प्रकाश मनु उनमें से नहीं, जो अपनी लीक छोड़़कर सुविधाओं के रास्ते पर चल पड़े हैं। मुझे मुश्किलें झेलने और अकेले चलने की आदत है और यह आदत अंत तक मेरे साथ रहेगी। मैं आसानी से हार मानने वालों में से नहीं हूँ। <br />सस्नेह, प्र.म.Divik Rameshhttps://www.blogger.com/profile/16991072115170775605noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3331349068686134264.post-35139868840531929842011-05-23T05:16:53.751-07:002011-05-23T05:16:53.751-07:00भाई दिविक जी,
आपने मेरे ब्लाग पर बल्लू हाथी का बाल...भाई दिविक जी,<br />आपने मेरे ब्लाग पर बल्लू हाथी का बालघर पढ़कर एक बहुत अच्छी टीप दी थी, जो पढ़ते हुए मन में उतर गई। उस पर दो शब्द मैं भी लिखना चाहता था, पर वह टीप संभवतः किसी तकनीकी कारण से गायब हो गई। कुछ दिन ब्लागस्पाट के लिहाज से गड़बड़ी के थे। शायद उन्हीं दिनों की यह बात है।<br />पर आज एकाएक आपकी वह टीप जिसमें मेरे लिए अच्छी, बहुत अच्छी सलाह भी है, नजर आ गई। तो सोचा कि इस पर अब दो शब्द लिखते हैं। पर लिखते-लिखते वे दो की बजाय चार शब्द हो गए। कभी फुर्सत हो, तो वहाँ उन पर एक नजर डाल लें। सस्नेह, आपका प्र.म.Prakash Manu प्रकाश मनुhttps://www.blogger.com/profile/04172383673707393967noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3331349068686134264.post-10638774179451313612011-05-23T05:16:19.886-07:002011-05-23T05:16:19.886-07:00भाई दिविक जी,
आपने मेरे ब्लाग पर बल्लू हाथी का बाल...भाई दिविक जी,<br />आपने मेरे ब्लाग पर बल्लू हाथी का बालघर पढ़कर एक बहुत अच्छी टीप दी थी, जो पढ़ते हुए मन में उतर गई। उस पर दो शब्द मैं भी लिखना चाहता था, पर वह टीप संभवतः किसी तकनीकी कारण से गायब हो गई। कुछ दिन ब्लागस्पाट के लिहाज से गड़बड़ी के थे। शायद उन्हीं दिनों की यह बात है।<br />पर आज एकाएक आपकी वह टीप जिसमें मेरे लिए अच्छी, बहुत अच्छी सलाह भी है, नजर आ गई। तो सोचा कि इस पर अब दो शब्द लिखते हैं। पर लिखते-लिखते वे दो की बजाय चार शब्द हो गए। कभी फुर्सत हो, तो वहाँ उन पर एक नजर डाल लें। सस्नेह, आपका प्र.म.Prakash Manu प्रकाश मनुhttps://www.blogger.com/profile/04172383673707393967noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3331349068686134264.post-75239436621293238772011-05-23T00:52:46.676-07:002011-05-23T00:52:46.676-07:00Jai Prakash Bharti ji baare men jaankar Achchha la...Jai Prakash Bharti ji baare men jaankar Achchha laga. Sanyog se हिन्दी के श्रेष्ठ बाल-गीत mere pas nahi hai. Koshish karta hoon mil jaaye.<br /><br /><br />............<br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">खुशहाली का विज्ञान!</a><br /><b><a href="http://za.samwaad.com/" rel="nofollow">ये है ब्लॉग का मनी सूत्र!</a></b>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3331349068686134264.post-19251689868279821222011-05-16T05:29:27.195-07:002011-05-16T05:29:27.195-07:00प्रिय दिविक जी, आपका सच्चा और निश्छल भावावेग मेरे ...प्रिय दिविक जी, आपका सच्चा और निश्छल भावावेग मेरे भीतर उतर सा गया है। भारती जी आज नहीं हैं और हम इतने निश्छल आवेग और पूरी शिद्दत से उन्हें याद कर रहे हैं, यही उनका बड़प्पन है। अत्यंत स्नेहपूर्वक, प्र.म.Prakash Manu प्रकाश मनुhttps://www.blogger.com/profile/04172383673707393967noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3331349068686134264.post-5460824866364380942011-05-15T11:06:51.092-07:002011-05-15T11:06:51.092-07:00सम्मान्य भाई साहब , नमस्कार . आपने सही कहा , भारती...सम्मान्य भाई साहब , नमस्कार . आपने सही कहा , भारती जी बेजोड़ इन्सान थे . बाल साहित्य के प्रति एकनिष्ठ समर्पण ..और वह भी अपेक्षाओं से कोसों दूर रहते हुए . सच कहूँ तो ....उनके पास जादू की छड़ी ही थी . उनके ज़माने में नंदन केवल बच्चों की ही नहीं , हर उस इन्सान की पत्रिका थी जो बच्चों से जुडा था . बाल साहित्य को स्थापित करने के लिए वे सदैव याद किये जायेंगे . <br /> मैं आपके मन की सदाशयता से अभिभूत हूँ . आपको नमन करता हूँ . आभार व्यक्त करता हूँ . <br />सादर , आपका ही अनुज , नागेश <br /><br />http://baal-mandir.blogspot.com/डॉ. नागेश पांडेय संजयhttps://www.blogger.com/profile/02226625976659639261noreply@blogger.com